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गौधाम योजना (CG Gaudham Yojana) |
छत्तीसगढ़ प्रदेश सात राज्यों की सीमाओं से घिरा हुआ है तथा प्रदेश से कुल ग्यारह राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते है, जिससे अंतर्राज्यीय आवागमन की सघनता है। राज्य में कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (यथा संशोधित 2011), छत्तीसगढ़ कृषिक पशु परिरक्षण नियम 2014 लागू है, जिसके अंतर्गत अवैध रूप से पशुओं की तस्करी एवं परिवहन पर रोक है, अंतर्राज्यीय सीमाओं पर प्रायः अवैध पशु तस्करी पर गृह विभाग द्वारा विधिवत कार्यवाही करते हुए गौवंशीय पशु जप्त किये जाते है। प्रदेश में निराश्रित, घुमन्तू गौवंशीय पशु बहुतायत में हैं, ऐसे पशु खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं तथा उनके सड़कों में विचरण करने के कारण दुर्घटनाएं होती हैं। जिससे पशु के साथ-साथ जनमानस को भी हानि होती है। निराश्रित, घुमन्तू एवं जप्त पशुओं को छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग अंतर्गत निकटस्थ पंजीकृत गौशाला में रखने का प्रावधान है। पंजीकृत गौशालाओं मे क्षमतानुसार पशु विस्थापित हो जाने के कारण वर्तमान में निराश्रित, घुमन्तू एवं जप्त पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु शासकीय भूमि में गौधाम स्थापित किये जाने की आवश्यकता हैं।
2. गौधाम योजना -
छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग नियम 2005 के तहत योजनांतर्गत जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गौधाम स्थापित किये जायेंगे, जो पंजीकृत गौशालाओं से भिन्न होंगे। प्रथम चरण में प्रदेश की प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग के आस-पास ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित किये जायेंगे। गौधाम में स्थानीय निकायों द्वारा निराश्रित, घुमन्तू गौवंशीय पशुओं तथा गृह विभाग द्वारा कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (यथा संशोधित 2011), छत्तीसगढ़ कृषिक पशु परिरक्षण नियम 2014 अंतर्गत जप्त गौवंशीय पशुओं को ही विस्थापित किया जायेगा।
2.1 गौधाम स्थापना हेतु भूमि -
ऐसी शासकीय भूमि जिसमे सुरक्षित बाड़ा, पशुओं के शेड, पर्याप्त पानी की सुविधा, बिजली की सुविधा उपलब्ध हो, वहां गौधाम की स्थापना की जायेगी, जैसे स्थापित गौठान जहां पूर्व से अद्योसंरचना विकसित हैं। उपलब्धता अनुसार गौठान से संलग्न चारागाह की भूमि हरा चारा उत्पादन हेतु उपलब्ध कराई जायेगी। गौधाम के संचालन हेतु चयनित संस्था को उपलब्ध कराई गई भूमि, अद्योसंरचना तथा चारागाह पर चयनित संस्था का कोई अधिकार नहीं होगा।
2.2 गौधाम का उद्देश्य-
- निराश्रित, घुमन्तु पशुओं एवं कृषिक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (यथा संशोधित 2011), छत्तीसगढ़ कृषिक पशु परिरक्षण नियम 2014 अंतर्गत जप्त गौवंशीय पशुओं का वैज्ञानिक पद्धति से संरक्षण एवं संवर्धन।
- गौउत्पादों को बढ़ावा देना।
- चारा विकास कार्यक्रम विकसित करना।
- प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करना।
- पशु नस्ल सुधार करना।
- जन-जन को गौसेवा के लिए प्रेरित करना।
- रोजगार उपलब्ध कराना।
2.3 पशु क्षमता -
प्रत्येक गौधाम में क्षमतानुसार (अधिकतम 200) गौवंशीय पशु रखे जा सकेंगे।
2.4 क्रियान्वयन नियंत्रण, अनुश्रवण एवं अनुशीलन-
छत्तीसगढ़ राजपत्र (आसाधारण) में प्रकाशित छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग नियम 2005 (यथा संशोधित 2025) से गठित जिला स्तरीय समिति एवं विकासखण्ड स्तरीय समिति द्वारा स्थापित गौधाम का क्रियान्वयन नियंत्रण, अनुश्रवण एवं अनुशीलन किया जायेगा।
2.5 गौधाम संचालन हेतु पात्र संस्थाएं-
छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग में पंजीकृत संचालित गौशाला की समिति, स्वयंसेवी संस्था, एन.जी.ओ. ट्रस्ट तथा फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी, सहकारी समिति।
2.6 गौधाम के संचालन हेतु संस्था का चयन-
(i) गौधाम हेतु चिन्हांकित भूमि के निकटस्थ / आस-पास की पंजीकृत संचालित गौशाला की समिति द्वारा गौधाम संचालन हेतु सहमति व्यक्त करने पर उक्त समिति को गौधाम संचालन हेतु जिम्मेदारी प्रदाय किये जाने का निर्णय छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग की क्रियान्वयन समिति द्वारा प्राथमिकता पर लिया जा सकेगा। चयनित पंजीकृत संचालित गौशाला की समिति एवं छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग के मध्य अनुबंध पश्चात् उक्त समिति को गौधाम का संचालन सौपा जायेगा।
(ii) निकटस्थ/आस-पास की पंजीकृत गैशाला की समिति द्वारा गौधाम संचालन हेतु असहमति व्यक्त करने पर अन्य स्वयंसेवी संस्था एन.जी.ओ., ट्रस्ट तथा फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी, सहकारी समिति द्वारा ‘‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी‘‘ मोड में गौधाम संचालन हेतु आवेदन किया जा सकेगा। गौधाम संचालन हेतु अन्य संस्था के चयन हेतु निम्न प्रक्रिया होगी-
- रूचि की अभिव्यक्ति के आधार पर छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग के द्वारा संस्था का चयन किया जाएगा।
- कण्डिका 2.4 में उल्लेखित संस्थायें निर्धारित प्रारूप में आवेदन जिला सशक्त समिति के सदस्य सचिव को जमा करेंगी।
- जिला स्तरीय सशक्त समिति प्राप्त आवेदनों का तुलनात्मक अध्ययन कर चयनित संस्था का नाम छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग को अनुमोदन हेतु प्रस्तुत करेगी।
- छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग से अनुमोदन पश्चात् चयनित संस्था एवं आयोग के मध्य अनुबंध किया जायेगा।
- तत्पश्चात उक्त संस्था को गौधाम का संचालन सौपा जायेगा।
(iii) संस्था के चयन का मापदण्ड निम्नानुसार होगा-
- गौसेवा के क्षेत्र में कार्य का अनुभव (5 वर्ष)।
- नस्ल सुधार एवं संचालन के क्षेत्र में अनुभव (3 वर्ष)
- संस्था द्वारा पशुपालकों प्रशिक्षण दिये जाने का अनुभव।
- जैविक खाद उत्पादन एवं जैविक खेती का अनुभव।
- हरा चारा उत्पादन कार्यक्रम का अनुभव।
- सामाजिक कार्य का अनुभव।
(iv) चयनित संस्था का कार्यकाल 5 वर्ष को होगा। कियान्वयन समिति के अनुमोदन पश्चात् कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है।
(v) चयनित समिति / संस्था द्वारा अनुबंध अवधि के मध्य में कार्य बंद किया जाता है, अनुबंध का पालन नहीं किया जाता हैं अथवा किसी प्रकार की लापरवाही पायी जाती है, तो उनके विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जा सकेगी। अनुबंध समाप्ति करने की दशाये एवं अधिकार निम्नानुसार होगी -
- जिला स्तरीय समिति द्वारा चयनित संस्था के लापरवाही की जांच किया जाएगा तथा जांच प्रतिवेदन के साथ अनुसंशा सहित प्रतिवेदन छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग के क्रियान्वयन समिति को निर्णय हेतु प्रस्तुत करेगी।
- छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग की कियान्वयन समिति द्वारा नियमित / आपातकाल बैठक का आयोजन करते हुए चयनित संस्था की लापरवाही के संबंध में जिला स्तरीय समिति की अनुसंशा पर विचार कर निर्णय ले सकेगी।
- छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग के कियान्वयन समिति द्वारा लिया गया निर्णय सर्वमान्य होगा।
- दोष सिद्ध होने की स्थिति में हर्जाना वसूली की कार्यवाही छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग द्वारा किया जाएगा।
2.7 गौधाम संचालन हेतु चयनित संस्था का दायित्व -
(i) अधोसंरचना विकास कार्य शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई भूमि पर आवश्यकतानुसार बाऊन्ड्रीवाल निर्माण, पेयजल व्यवस्था, विद्युत व्यवस्था, पशु शेड निर्माण, चारा विकास कार्यक्रम आदि कार्य कराया जा सकेगा।
(ii) गौधाम में उपलब्ध समस्त पशुओं को नियमित दाना-पानी की उपलब्धता, समस्त शेड एवं परिसर की स्वछता सुनिश्चित करना होगा।
(iii) गौधाम में उपलब्ध समस्त पशुओं का स्वास्थ्य की देखभाल सुनिश्चित करना होगा। पशुओं को बीमारी से बचाने हेतु समुचित व्यवस्था, नियमित टीकाकरण, कृमि नाशक दवापान, कृत्रिम गर्भाधान, बधियाकरण, प्राथमिक एवं अन्य आवश्यक उपचार आवश्यकतानुसार उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य होगा।
(iv) गौवंशीय नर पशुओं का बधियाकरण कराकर बैलजोडी तैयार करना होगा।
(v) गौवंशीय मादा पशुओं की नस्ल सुधार करना होगा।
(vi) चयनित समिति / संस्था द्वारा उपलब्ध कराई गई भूमि पर सघन चारा विकास कराया जायेगा।
(vii) उपरोक्त समस्त कार्य हेतु आवश्यक अमला की व्यवस्था के साथ.साथ समस्त संबंधित लेखा संधारण करना होगा।
(viii) भारत सरकार व राज्य शासन द्वारा पशु क्रूरता, पशुओं के रखरखाव आदि संबंधी जारी नियम, अधिनियम, दिशा-निर्देश एवं एडवायजरी का पालन करना होगा।
(ix) गोबर एवं गोमूत्र उत्पाद जैसे जैविक खाद का उत्पादन, कीट नाशक उत्पादन आदि, कृषकों / पशुपालकों का प्रशिक्षण एवं प्रचार-प्रसार करना होगा।
(x) गौधाम परिसर एवं आस-पास स्वच्छता रखना होगा, प्रदुषण नियंत्रण आवश्यक होगा।
2.8 गौधाम हेतु मानव संसाधन-
व्यवस्था एवं सुचारू संचालन हेतु प्रत्येक गौधाम में एक चरवाहा एवं एक गौसेवक (प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता) रखा जायेगा।
2.9 गौधाम में पशुओं का प्रबंधन एवं नस्ल सुधार कार्यकम-
चयनित समिति ध् संस्था द्वारा पशुओं का प्रबंधन पशुधन विकास विभाग द्वारा जारी मानक संचालक प्रक्रिया अनुसार किया जायेगा।
(i) नर पशुओं का प्रबंधन नर पशु की बैलजोडी तैयार की जा सकती है, जिसे पशुधन विकास विभाग द्वारा आवेदकों को निःशुल्क वितरित किया जा सकेगा। तैयार की गई बैलजोड़ी के आवेदकों को वितरण हेतु परिवहन, प्रबंधन पर व्यय छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग द्वारा वहन किया जायेगा।
(ii) मादा पशुओं की नस्ल सुधार मादा पशुओं की नस्लसुधार पशुधन विकास विभाग को केन्द्रीय योजना राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अन्तर्गत लिंग-भेदित वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम में प्राप्त सीमेन से किया जायेगा, इस हेतु हितग्राही अंश की राशि की प्रतिपूर्ति छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग द्वारा की जायेगी। योजनांतर्गत सेक्स सोर्टेड सीमेन उपलब्ध नहीं होने पर पशुधन विकास विभाग द्वारा प्रदाय फोजन सीमेन से नस्ल सुधार कार्यक्रम संचालित किया जायेगा। गौसेवक (प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता) द्वारा गौधाम के साथ-साथ ग्राम के पशुओं के नस्ल सुधार कार्य भी उपरोक्तानुसार सम्पादित किया जाना होगा।
2.10 गौधाम को प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करना-
प्रत्येक गौधाम में चयनित समिति / संस्था के द्वारा गौ उत्पाद विषय पर प्रशिक्षण दिया जायेगा एवं गौ आधारित कृषि को प्रेरित करने प्रयास किये जायेंगे। साथ ही साथ गोबर गौमूत्र से गौ-उत्पाद जैसे केंचुआ खाद, कीट नियंत्रक, गौकाष्ठ, गोनाईल, दीया, दंतमंजन, अगरबत्ती इत्यादि का उत्पादन कर विपणन किया जायेगा।
2.11 योजना का वित्त पोषण-
जिला स्तर समिति के अनुशंसा के आधार पर गौधामों को पोषण आहार हेतु छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग द्वारा प्रथम वर्ष हेतु 10 रूपए प्रतिदिन / पशु के दर से अनुदान दिया जायेगा। जिला स्तरीय समिति के अनुशंसा के पश्चात उत्कृष्ट गौधामों को निम्नानुसार अनुदान की पात्रता होगी-
द्वितीय वर्ष - 20 रूपए प्रतिदिन/पशु
तृतीय वर्ष - 30 रूपए प्रतिदिन/पशु
चतुर्थ वर्ष - 35 रूपए प्रतिदिन/पशु
(i) गौधाम हेतु पोषण आहार अनुदान -
- संरक्षित 200 कृषिक पशुओं हेतु व्यय
- प्रथम वर्ष प्रतिदिन प्रति पशु की दर से 10 रूपए एवं 10 रूपए की अनुदान के दर पर प्रतिदिन 2000 रूपए तथा प्रति वर्ष व्यय (365 दिवस) 7,30,000 रूपए
- द्वितीय वर्ष प्रतिदिन प्रति पशु की दर से 20 रूपए एवं 20 रूपए की अनुदान के दर पर प्रतिदिन 4000 रूपए तथा प्रति वर्ष व्यय (365 दिवस) 14,60,000 रूपए
- तृतीय वर्ष प्रतिदिन प्रति पशु की दर से 30 रूपए एवं 30 रूपए की अनुदान के दर पर प्रतिदिन 6000 रूपए तथा प्रति वर्ष व्यय (365 दिवस) 21,90,000 रूपए
- चतुर्थ वर्ष प्रतिदिन प्रति पशु की दर से 35 रूपए एवं 35 रूपए की अनुदान के दर पर प्रतिदिन 7000 रूपए तथा प्रति वर्ष व्यय (365 दिवस) 25,55,000 रूपए
- टीप - स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यों के गुणवत्ता के आधार पर एवं क्रियान्वयन समिति के अनुमोदन पश्चात् प्रति वर्ष अनुदान में वृद्धि की जायेगी।
(ii) चरवाहों को मानदेय-
चरवाहों को श्रमायुक्त, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दैनिक न्यूनतम वेतन के संबंध में जारी अनुसूची (ग) अनुसार मानदेय प्रदाय होगा। वर्तमान में प्रचलित दर का औसत अनुसार प्रति चरवाहा प्रति माह मानदेय राशि 10916/- रूपए (अकुशल वर्ग), प्रति वर्ष राशि 130902/- रूपए व्यय होगा, जो तदानुसार परिवर्तनीय होगा।
(iii) गौसेवक को मानदेय-
गौसेवक (प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता) को श्रमायुक्त, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दैनिक न्यूनतम वेतन के संबंध में जारी अनुसूची (ग) अनुसार मानदेय प्रदाय होगा। वर्तमान में प्रचलित दर का औसत अनुसार प्रति गौसेवक प्रति माह मानदेय राशि 13126/- रूपए (उच्च कुशल वर्ग), प्रति वर्ष राशि 157512/- रूपए व्यय होगा, जो तदानुसार परिवर्तनीय होगा।
(iv) पशु नस्ल सुधार-
राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अन्तर्गत लिंग-भेदित वीर्य का उपयोग करके त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम में प्राप्त सीमेन से किया जायेगा, इस हेतु चयनित संस्था द्वारा जमा की गई हितग्राही अंश की राशि की प्रतिपूर्ति हेतु प्रति वर्ष राशि 150000 रूपए व्यय होगा।
(v) चारा विकास-
- आवर्ती व्यय (5 एकड़ के लिए) राशि 285000/- रूपए

- 1 एकड़ के लिए कुल राशि 47000/- रूपए होगी। जिसमें भूमि तैयार करने में 5000 रूपए, गोबर खाद 10 टन/एकड़ में 20,000 रूपए, नेपियर रूट स्लीप 20000 रूट स्लीप/एकड़ में 5000 रूपए, नेपियर लगाने में मजदूर खर्च 1600 रूपए, चारा परिवहन में 2000 रूपए, सिंचाई बिजली में 2000 रूपए, कीट नियंत्रण में 1000 रूपए, चारा कटाई के लिए मजदूर खर्च (6-7 कटाई/वर्ष) 4500 रूपए, चॉट कटर 0 रूपए, अन्य आकस्मिक व्यय 5900 रूपए होगा।
- 5 एकड़ के लिए कुल राशि 285000 रूपए होगी। जिसमें भूमि तैयार करने में 25000 रूपए, गोबर खाद 10 टन/एकड़ में 1,00,000 रूपए, नेपियर रूट स्लीप 20000 रूट स्लीप/एकड़ में 25,000 रूपए, नेपियर लगाने में मजदूर खर्च 8000 रूपए, चारा परिवहन में 10,000 रूपए, सिंचाई बिजली में 10,000 रूपए, कीट नियंत्रण में 5000 रूपए, चारा कटाई के लिए मजदूर खर्च (6-7 कटाई/वर्ष) 22500 रूपए, चॉट कटर 50,000 रूपए, अन्य आकस्मिक व्यय 29500 रूपए होगा।
- नोट- गौधाम अंतर्गत चारा विकास का कार्य भूमि उपलब्ध होने पर संचालित किया जायेगा। प्रथम वर्ष राशि 28,5000 रूपए, द्वितीय वर्ष से चॉफ कटर हेतु प्रावधानित राशि देय नहीं होगी।
(vi) अद्योसंरचना विकास-
- छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग द्वारा गौधाम हेतु उपलब्ध कराई गई भूमि में पूर्व से निर्मित अद्योसंरचना की मरम्मत / मूलभूत अद्योसंरचना हेतु अधिकतम राशि 5 लाख रूपए प्रदाय होगा। आवश्यकतानुसार अतिरिक्त नवीन संरचना निर्माण का कार्य जिला स्तरीय समिति द्वारा विभिन्न विभाग की संचालित योजनाओं के अभिसरण से कराया जा सकता हैं।
- प्रत्येक गौधाम के संचालन हेतु कुल वित्तीय आवश्यकता:-
- प्रथम वर्ष अद्योसंरचना विकास हेतु 5 लाख रूपए, पोषण आहार हेतु अनुदान राशि 7.30 लाख रूपए, चरवाहा हेतु मानदेय राशि 1.31 लाख रूपए, गौ सेवकों हेतु मानदेय राशि 1.58 लाख रूपए, नस्ल सुधार हेतु 1.50 रूपए, चारा विकास हेतु 2.85 लाख रूपए कुल राशि 19.54 लाख रूपए।
- द्वितीय वर्ष पोषण आहार हेतु अनुदान राशि 14.60 लाख रूपए, चरवाहा हेतु मानदेय राशि 1.31 लाख रूपए, गौ सेवकों हेतु मानदेय राशि 1.58 लाख रूपए, नस्ल सुधार हेतु 1.50 रूपए, चारा विकास हेतु 2.85 लाख रूपए कुल राशि 21.34 लाख रूपए।
- तृतीय वर्ष पोषण आहार हेतु अनुदान राशि 21.90 लाख रूपए, चरवाहा हेतु मानदेय राशि 1.31 लाख रूपए, गौ सेवकों हेतु मानदेय राशि 1.58 लाख रूपए, नस्ल सुधार हेतु 1.50 रूपए, चारा विकास हेतु 2.85 लाख रूपए कुल राशि 28.64 लाख रूपए।
- चतुर्थ वर्ष पोषण आहार हेतु अनुदान राशि 25.55 लाख रूपए, चरवाहा हेतु मानदेय राशि 1.31 लाख रूपए, गौ सेवकों हेतु मानदेय राशि 1.58 लाख रूपए, नस्ल सुधार हेतु 1.50 रूपए, चारा विकास हेतु 2.85 लाख रूपए कुल राशि 32.29 लाख रूपए।
- टीप:- समिति / संस्था को प्रदत्त अनुदान छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग के नियम 2005 (यथासंशोधित) के नियम 11 (4) एवं 11 (9) अनुसार होगा।
- प्रत्येक गौधाम के संचालन हेतु उपरोक्तानुसार अनुमानित व्यय की आवश्यकता की पूर्ति छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग नियम 2005 (यथासंशोधित) में आवश्यक संशोधन पश्चात् छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड, रायपुर से प्राप्त राशि से की जाएगी।
2.12 गौधाम का छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग में पंजीयन की प्रक्रिया -
(i) जिला में निराश्रित, घुमन्तू गौवंशीय पशुओं के विस्थापन हेतु आवश्यकतानुसार शासकीय भूमि / ध्ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित गौठान का चिन्हांकन कर गौधाम स्थापना का निर्धारित प्रपत्र में प्रस्ताव जिला कलेक्टर द्वारा रजिस्ट्रार, छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग को प्रेषित किया जायेगा। प्रस्ताव में प्रस्तावित स्थल पर निर्मित संरचनाओं की भौतिक/ध्वित्तीय जानकारी संलग्न होगी।
(ii) रजिस्ट्रार द्वारा प्रस्तावित स्थल पर निर्मित संरचनाओं का भौतिक सत्यापन कराया जायेगा।
(iii) रजिस्ट्रार द्वारा प्रस्तावित स्थल के निकटस्थ/आस-पास संचालित आयोग में पूर्व से पंजीकृत गौशाला की समिति से गौधाम योजना अंतर्गत गौधाम संचालन की सहमति ली जायेगी।
(iv) पंजीकृत गौशाला की समिति से सहमति प्राप्त होने पर आयोग के रजिस्टर में प्रविष्ट कर प्राप्त प्रस्ताव तथा सहमति पत्र आयोग के सचिव के माध्यम से क्रियान्वयन समिति के समक्ष विचार/अनुमोदन के लिए रखा जायेगा।
(v) निकटस्थ/आस-पास संचालित आयोग में पूर्व से पंजीकृत गौशाला की समिति द्वारा गौधाम योजना अंतर्गत गौधाम संचालन की असहमति व्यक्त करने पर रजिस्ट्रार द्वारा कलेक्टर/छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग नियम 2005 (यथा संशोधित 2025) अनुसार गठित जिला समिति को तद्श्य की सूचना दी जाकर योजना अनुसार रूचि की अभिव्यक्ति के माध्यम से गौधाम संचालन हेतु संस्था के चयन की कार्यवाही किये जाने हेतु लेख किया जायेगा।
(vi) जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया अपनाते हुये गौधाम संचालन हेतु संस्था का चयन किये जाने पर निम्नलिखित जानकारी रजिस्ट्रार को प्रेषित की जायेगी।
- संस्था से संबंधित संपत्ति का ब्योरा।
- संस्था के कार्यकारणी सदस्यो के नाम तथा पता।
- संस्था में पद के उत्तराधिकार की रीति।
- संस्था के आय.व्यय का ब्योरा तथा आय का स्त्रोत।
- जिला प्रशासन की अनुशंसा।
(vii) यह समाधान होने पर की संस्था पंजीकरण की समस्त आर्हता पूर्ण करती हैं तथा उक्त गौधाम के संचालन पर योजनानुसार व्यय की पूर्ति छत्तीसगढ़ राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड, रायपुर से आयोग को प्राप्त राशि से हो जायेगी। रजिस्ट्रार द्वारा समस्त विशिष्टियों को आयोग के रजिस्टर में प्रविष्ट कर आवेदन पत्रों के साथ आयोग के सचिव के माध्यम से क्रियान्वयन समिति के समक्ष विचार/अनुमोदन के लिए रखा जायेगा।
(viii) बिन्दु क्रमांक (iv) अथवा (vii) अनुसार क्रियान्वयन समिति के अनुमोदन के पश्चात् रजिस्ट्रार गौधाम के पंजीकरण हेतु शासन स्तर से अनुमोदन प्राप्त करेगा।
(ix) विभाग द्वारा प्रशासकीय अनुमोदन प्राप्त होने पर छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग तथा चयनित संस्था के मध्य निर्धारित अनुबंध पत्र हस्ताक्षरित किया जायेगा।
(x) अनुबंध पत्र हस्ताक्षरित होने के पश्चात् रजिस्ट्रार गौधाम का रजिस्ट्रीकरण प्रमाण पत्र जारी करेगा।